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बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2722
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर

 

अध्याय - 6
मुगल सैन्य पद्धति :
पानीपत का प्रथम संग्राम (1526 ईस्वी)

[Mughal Military System :
First Battle of Panipat (1526 AD ) ].

प्रश्न- मुगल स्त्रातजी तथा सामरिकी का वर्णन कीजिए।

अथवा
"खुद मुगलों की सैन्य पद्धति का इतिहास मुख्य रूप से मनसबदारी प्रथा का इतिहास है।" मुगल सेना की संरचना तथा संगठन का उल्लेख करते हुए इस कथन की समीक्षा कीजिए।
अथवा
मुगलकालीन सैन्य पद्धति पर संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
अथवा
"मुगलों ने भारत पर अपना प्रभुत्व मुख्यता दो सैन्य विशिष्ट या तोपों और अश्वारोही सेना द्वारा स्थापित किया।" व्याख्या कीजिए।
अथवा
एक स्वच्छ रेखाचित्र के द्वारा मुगलों की व्यूहरचना का प्रदर्शन कीजिए। (वर्णन आवश्यक नहीं)

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. मुगलकालीन तोपखाने के विस्तार पर प्रकाश डालिए।
2. मनसबदारी व्यवस्था के गुण और दोष बताइये।
3. मनसबदारी प्रथा से आप क्या समझते हैं? 
4. मुगलों की सैन्य व्यवस्था पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
5. तुलगमा सामरिकी।

उत्तर -

मुगल सैन्य पद्धति
(Mughal's Military System)

1526 ई० में पानीपत के युद्ध में इब्राहीम लोदी को हराकर मुगल सम्राट बाबर ने दिल्ली में मुगल साम्राज्य की स्थापना की। बाबर जन्म से ही कूटनीतिक लड़ाई को देखता आया और इस कला को भी अपना लिया। उसे घेरेबन्दी की लड़ाई घुड़सवार सेना के प्रयोग, किलों पर अधिकार करने की कला तथा तोपखाने के प्रयोग का अनुभव था। इसी सैन्य पद्धति तथा संगठन के द्वारा ही उसने भारत पर विजय प्राप्त की। तोपखाने के विकास में बाबर की महत्वपूर्ण भूमिका रही। मुगलों की सैन्य पद्धति का वर्णन निम्नलिखित है -

1. मुगल सेनाएँ - मुगल सेना में अनेक प्रकार की सेनाएँ थीं जैसे घुड़सवार सेना, पैदल सेना, गज सेना और नौसेना तथा तोपखाना। इन सेनाओं का विस्तारपूर्वक वर्णन निम्नलिखित है -

(i) घुड़सवार सेना (Cavalry) - मुगलों की अश्वारोही सेना में तीन प्रकार के सैन्य दल होते थे

(क) मनसबदारी घुड़सवार
(ख) अधीन रियासतों के द्वारा भेजे गये घुड़सवार
(ग) वे सैनिक जो राजा की सेवा के लिए नियुक्त होते थे।

सबसे अधिक संख्या मनसबदारी घुड़सवारों की होती थी। घुड़सवार सैनिकों के पास विभिन्न प्रकार की तलवारें, छुरे, दण्ड (Ace), कुल्हाड़ी (Axe), भाले तथा धनुष-बाण- आदि हथियार होते थे तथा वे बचाव के लिए ढाल तथा लौह जाल के बने वस्त्रों को सिर से पांव तक पहनते थे। यह शारीरिक कवच हर अश्वारोही के पास नहीं होता था परन्तु साधारण सैनिक लोहे का टोप अवश्य पहनते थे।

(ii) गज़ सेना - हाथी मुगल शासकों की सेना के महत्वपूर्ण अंग थे। अकबर के शासन में शाही अस्तबल में 6,751 हाथियों का विवरण मिलता है। लड़ाई में हाथियों का प्रयोग निम्नलिखित कार्यों के लिए होता था -
(1) शाही सेना को नदी तथा दलदली भूमि पार कराना
(2) भारी तोपों तथा शस्त्रों को ले जाना
(3) किलों तथा दुर्गों की दीवारें तथा दरवाजे तोड़ना।
(4) युद्ध क्षेत्र में शत्रु सेना को कुंचलना आदि।
हाथी सेना का महत्वपूर्ण कार्य शत्रु सेना को नेस्तानाबूद कर देना होता था।

हाथी की सुरक्षा के लिए हाथी के सर पर लोहे की प्लेट लगी होती थी। उसकी सूड़ में एक तलवार तथा दांतों में दो छुरे लगा दिये जाते थे। हाथी की पीठ पर चार योद्धा बैठते थे जो ऊपर से ही बाण. वर्षा करते थे या राइफल द्वारा फायर करते थे।

हाथियों को निकायों तथा उपनिकायों में संगठित किया जाता था। हाथियों को 1000 के ग्रुपों में बांटा जाता था। हर ग्रुप में 100-100 हाथियों के छोटे ग्रुप होते थे तथा 20-20 हाथियों के पाँच दस्ते होते थे। इन हाथियों पर होने वाले खर्च को मनसबदारों के वेतन से काटा जाता था।

(iii) पैदल सेना - मुगल सेना में पैदल सेना का कोई विशेष महत्व नहीं था। पैदल सैनिकों की संख्या तो बहुत अधिक होती थी परन्तु इनमें लड़ाकू सैनिकों की संख्या से अधिक नौकर-चाकर, भेदिये तथा हरकारों की संख्या होती थी। पैदल सेना विविध प्रकार के व्यक्तियों का एक समूह मात्र था। लड़ाकू पैदल सैनिकों का मुख्य हथियार बन्दूक (मस्कट) तथा तलवार थे। प्राप्त विवरणों से पता चलता है कि अकबर के समय में 1200 बन्दूकधारी थे।

(iv) तोपखाना - भारत में तोपखाने का विकास बाबर ने पानीपत की लड़ाई में सर्वप्रथम किया। वैसे तो भारत में अग्नेय अस्त्रों का प्रयोग मुगलों से पूर्व भी होता था। परन्तु तोपखाने के द्वारा अग्नेयअस्त्रों का प्रयोग सर्वप्रथम बाबर ने ही किया। कहते हैं कि हुमायूँ के पास ऐसी तोपें थीं जो लगभग दो किलोग्राम से भारी गोले तीन मील की दूरी तक फेंक देती थीं।

समयानुसार तोपखाने में सुधार होता गया तथा अकबर के शासनकाल में तोपखानों में अनेक सुधार हुए। शत्रु पर सहीं निशाना लगाने के लिए दूरबीन का भी प्रयोग किया जाने लगा।

मुगल सेना में आग्नेय अस्त्रों का एक अलग विभाग होता था। तोपखाने को चार उप-विभागों में बांटा गया था -
(क) निर्माण विभाग
(ख) भण्डारागार विभाग
(ग) मैदानी तोपखाना
(घ) किले की तोपें।

मैदानी तोपखाने की दो श्रेणियाँ थीं-
(i) जिन्सी तोपखाना तथा
(ii) दस्ती तोपखाना।

अकबर ने अपनी तोपों का नाम 'फतह, लश्कर, शेर दहाड़ तथा आतिशे जंगल आदि रखे थे। अकबर के समय में जिन्सी तोपखाने में अधिकतर अंग्रेज तथा ईसाई लोग होते थे। निम्न जाति के हिन्दू व भारतीय मुसलमान लश्कर तोपों की सफाई आदि का काम करते थे। तोपखाने में यूरोपीय निवासियों को इसलिए प्रधानता दी जाती थी क्योंकि भारत के तोप निर्माता अच्छी तोपों का निर्माण नहीं कर पाते थे।

मुगलों की 'जिन्सी तोपखाने में भारी व हल्की दोनों प्रकार की तोपें होती थीं। भारी तोपों का कार्य घेरेबन्दी, किलों की सुरक्षा तथा किलों पर अधिकार करना होता था।

(v) नौसेना -मुगलों के पास सामुद्रिक लड़ाइयों के लिए कोई लड़ाकू जलयान नहीं थे। परिवहन कारणों से नावों का प्रयोग सामान आदि लाने व ले जाने में किया जाता था। सैनिक भी एक स्थान से दूसरे स्थान तक सड़कों का दुर्गम स्थान छोड़कर नदियों के द्वारा यात्रा करना उचित समझते थे। जहांगीर के शासनकाल में बीस प्रकार की नावों का उल्लेख मिलता है। 1666 ई. में चिट्टागांव के आक्रमण के समय नावों में बैठकर युद्ध लड़ने का वर्णन मिलता है। इस लड़ाई में नावों पर सवार सैनिकों ने बन्दूकों तथा अग्नेय अस्त्रों का प्रयोग किया था। इस तरह पता चलता है कि मुगलकाल में नौ सेना का विकास प्रारम्भ हो गया था।

2. सैन्य प्रशिक्षण - मुगलकाल में सैनिकों को प्रशिक्षित करने की व्यवस्था का कोई संकेत नहीं मिलता है। उनको किसी प्रकार का नियमित अभ्यास नहीं कराया जाता था। परन्तु शाही निरीक्षण के समय उनको परेड अवश्य कराई जाती थी। इससे कुछ अभ्यास अवश्य हो जाता था। शिकार के समय बादशाह के साथ सेना भी जाती थी। जिससे कुछ सैन्य अभ्यास हो जाता था।

सैनिक व्यक्तिगत रूप से नियमित अपने शरीर की कसरत करते थे। घुड़सवार कीले गाड़ने, बोतलों पर निशाना लगाने का अभ्यास करते थे। तलवारबाज पैतरेबाजी दिखाकर फुर्ती उत्पन्न करने का अभ्यास व्यक्तिगत रूप से करते थे। परन्तु मिल-जुलकर अभ्यास करने की कला (Combined Factics) का विकास नहीं हो पाया था।

3. सम्भरण व्यवस्था ( Supply System) -अस्त्र-शस्त्र, साज-सामान आदि ढोने के लिए मनसबदार स्थानीय अधिकारियों की सहायता से स्वयं ही व्यवस्था करते थे। क्योंकि राज्य की तरफ से परिवहन की कोई व्यवस्था नहीं थी। यातायात के लिए हाथी, घोड़े, ऊंटों, बैलगाड़ियों आदि का प्रयोग किया जाता था। रसद आदि सामान बाजारों से खरीदा जाता था। ऐसे बाजार सेना के पीछे-पीछे चलते थे और सेना के पड़ाव डालते ही यह बाजार सजा दी जाती थी। यहाँ से सैनिक अपनी आवश्यकता की वस्तुयें नकद या उधार खरीद सकते थे।

4. गुप्तचर विभाग (Intelligence Department) - शत्रु की सैनिक शक्ति, उसकी स्थिति तथा गतिविधि आदि का पता लगाने के लिए चर व स्काउटों का प्रयोग किया जाता था। यह गुप्तचर लड़ाई तथा शान्ति दोनों ही समय काम करते रहते थे। गुप्तचर विभाग के अध्यक्ष को 'दरोगा-ए-हरकारा कहते थे। मुगलों की गुप्तचर व्यवस्था अति उत्तम थी।

5. किले तथा किलेबन्दी - मुगलों ने किलों का महत्व समझा और उन्होंने अनेकों किलों का निर्माण करवाया। मुगलों द्वारा बनवाये गये किलों में 'आगरा फोर्ट', 'लाल किला। आदि किले प्रसिद्ध हैं। यह किले अत्यधिक मजबूत तथा सुरक्षित होते थे। किलों की बुजों में छेद करके वहाँ तोपों को लगा दिया जाता था तथा किले के चारों तरफ गहरी खाई खोद कर उसमें पानी भर दिया जाता था तथा किले की दीवारों से सटाकर कांटेदार पेड़ उगाये जाते थे। किले की सुरक्षा के कड़े इन्तज़ाम रहते थे। किलों पर अधिकार करने के लिए मुगल कई विधियों का प्रयोग करते थे। वे किले के बाहर घेरा डालकर किले की दीवारों पर तोपों के द्वारा फायर करते थे अथवा सुरंगें खोदने की विधि का प्रयोग करते थे अथवा किले के द्वार तोड़ने का प्रयास करते थे। फिर भी किले पर अधिकार न हो पाने पर अधिकतर किले बन्दी करके अन्दर के लोगों को रसद के अभाव में आत्म समर्पण करने को विवश कर दिया जाता था।

6. सैन्य व्यवस्था - मुगलों की कोई स्थाई सेना नहीं होती थी। वे निम्नलिखित चार प्रकार के सैनिकों को इकट्ठा करके युद्ध करते थे -

(i) मनसबदारों द्वारा नियुक्त सैनिक बल - यह सैनिक मनसबदार बादशाह की ओर से नियुक्त सैनिक होते थे। इन सैनिकों की पदोन्नति सम्राट करता था।

(ii) सामन्तों तथा सूबेदारों की सेनाएँ - इस प्रकार की सेना को नियमित वेतन तथा भत्ते दिये जाते थे तथा इन सेनाओं की बागडोर सामन्तों के हाथ में होती थी।

(iii) पूरक (दिल्ली) सेनाएँ ये सैनिक भी वेतन प्राप्त करते थे तथा इनका नेतृत्व युद्ध के समय मनसबदारों के द्वारा किया जाता था।

(iv) अहदी सेना - इस सेना के सैनिक उच्च परिवारों के व्यक्ति होते थे परन्तु इन्हें मनसबदार नहीं कहा जा सकता है।

7. मनसबदारी प्रथा - अकबर ने भारत में मनसबदारी प्रथा प्रचलित की थी। यह प्रथा जागीरदारी प्रथा से भिन्न थी। मनसबदार, शाही सेना के अंतर्गत उच्च पद प्राप्त अधिकारी होते थे। इन्हें राजकीय पदाधिकारी या राज्य की ओर से वेतन प्रदान किया जाता था। इसके बदले में मनसबदार युद्ध के समय योद्धाओं तथा सैनिकों को राज्य की ओर से लड़ाता था। मनसबदारी का सबसे छोटा पद 10 सैनिकों का था तथा सबसे बड़ा पद 10,000 सैनिकों का था। मनसबदार तथा सैनिकों के बीच कोई अन्य अधिकारी नहीं होता था। मनसबदार ही सीधे सम्राट के प्रति उत्तरदायी होता था।

एक मनसबदार को पद के अनुसार सेना रखनी पड़ती थी तथा वह अश्वारोही सेना भी रखता था। उदाहरण के लिए यदि कोई मनसबदार 10,000 सैनिक रखता था तो वह 1000 सैनिकों का एक और दल अश्वारोही सैनिकों के रूप में रखता था।

मनसबदार वंश परम्परागत नहीं होतें थे। सब कुछ सम्राट की इच्छा पर निर्भर था। किसी भी मनसबदार की नियुक्ति तथा पदोन्नति सम्राट स्वयं करता था। पदोन्नति के लिए क्रमानुसार नहीं बढ़ना पड़ता था। सम्राट किसी भी मनसबदार को सीधे पाँच हजारी मनसबदार बना सकता था। मनसबदार की नियुक्ति, तरक्की अथवा बर्खास्त किये जाने के नियम कायदे कोई विशेष नहीं थे।

मनसबदार अपने घुड़सवारों की भर्ती स्वयं किया करते थे और अधिकतर ये सैनिक उन्हीं की जाति के होते थे। प्रत्येक घुड़सवार को 20-25 रुपया मासिक वेतन मिलता था। इसी वेतन से घुड़सवार को अपने घोडे व हथियार की व्यवस्था करनी पड़ती थी।

मनसबदार वेतन के हिसाब - किताब में राज्य से धोखाधड़ी करके और अधिक रुपया बचा लेते थे। मनसबदार किसी न किसी रूप में सम्राट से अधिक वेतन हासिल कर लेते थे या अपने सैनिकों के वेतन से कटौती करके बहुत अधिक धन जमा कर लेते थे। बादशाह द्वारा निरीक्षण करने के बावजूद भी मनसबदारों ने राज्य को ठगने के उपाय निकाल लिये थे और किसी न किसी रूप में अधिक धन संग्रह कर लेते थे।

8. मुगल युद्ध नीति अथवा तुलगमा सामरिकी - पानीपत के प्रथम संग्राम में बाबर द्वारा अपनायी गई रणनीति जिसमे वह विरोधी सेना के सामने गड्ढे खुदवा देता था तथा युद्ध के समय अपनी आधी सेना को दायें एव आधी सेना को बायें ओर खड़ा करके शत्रु की सेना पर पीछे से आक्रमण करता था। बाबर के द्वारा अपनायी गयी यह रणनीति तुलगमा सामरिकी के नाम से प्रसिद्ध है। बाबर ने तुलगमा सामरिकी से ग्रहण की थी। युद्ध स्थल पर जब सेनाएँ आमने-सामने एकत्र हो जाती थीं तो उन्हें विभिन्न विभागों (Wings) में विभाजित कर दिया जाता था। मुगल सेना की रचना लगभग वैसी ही थी जैसी तैमूर के समय से चली आ रही थी। यानि अग्रगामी भारत, अग्रिम भाग (Van), मध्य भाग, दाहिना भाग, बायां भाग तथा पृष्ठ भाग होते थे। सेना की सर्वाधिक शक्ति सेना के मध्य भाग में केन्द्रित होती थी। सेना की व्यूहरचना को 'सफ अरष्ठान' कहते थे।

 

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इस सामरिक रचना में सबसे आगे धनुर्धारी घुड़सवार उनके पीछे तोपखाने सहित सशस्त्र जनाओं से बनी अग्रिम गारद (Van guard) होती थी। सबसे पहले धनुर्धारी सैनिक आगे बढ़कर शत्रु से छापामार युद्ध करते और शत्रु सेना का अधिक दबाव पड़ने पर अग्रगामी गारद के दांयें-बायें होकर पीछे हट जाते थे। अग्रगामी गारद के पीछे मुख्य सेना होती थी। जिसमें वाम (Left Wing), मध्य (Centre) तथा दायां पक्ष (Right Wing) होती थी। सबसे पीछे पृष्ठ गारद अथवा रिजर्व सेना रहती थी।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- महाकाव्य एवं पुराणकालीन सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- प्राचीन भारत में गुप्तचर व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए गुप्तचरों के प्रकार तथा कर्मों का उल्लेख कीजिए।
  4. प्रश्न- राजदूतों के कर्त्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
  5. प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
  6. प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
  7. प्रश्न- वैदिकयुगीन दुर्गों के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिये।
  9. प्रश्न- सैन्य पद्धति का क्या अर्थ है?
  10. प्रश्न- भारतीय सैन्य पद्धति के अध्ययन के स्रोत कौन-कौन से हैं?
  11. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
  12. प्रश्न- पौराणिक काल के अष्टांग बलों के नाम लिखिये।
  13. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास में कितने प्रकार के राजदूतों का उल्लेख है? मात्र नाम लिखिये।
  14. प्रश्न- धनुर्वेद के अनुसार आयुधों के वर्गीकरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  15. प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
  16. प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
  17. प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
  18. प्रश्न- वैदिककालीन दस राजाओं के युद्ध का क्या परिणाम हुआ?
  19. प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
  20. प्रश्न- वैदिक काल की रथ सेना का वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- प्राचीन काल में अश्व सेना के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
  22. प्रश्न- प्राचीन भारत में राजूदतों के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
  23. प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
  24. प्रश्न- किन्हीं तीन प्रकार के प्राचीन हथियार एवं दो प्रकार के कवचों के नाम लिखिए।
  25. प्रश्न- धर्म युद्ध से आप क्या समझते हैं?
  26. प्रश्न- किलों पर विजय प्राप्त करने की विधियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  27. प्रश्न- झेलम के संग्राम (326 ई.पू.) में पोरस की पराजय के कारणों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- झेलम के संग्राम से क्या सैन्य शिक्षाएं प्राप्त हुई?
  29. प्रश्न- झेलम के संग्राम के समय भारत की यौद्धिक स्थिति का उल्लेख कीजिए।
  30. प्रश्न- सिकन्दर की आक्रमण की योजना की समीक्षा करो।
  31. प्रश्न- पोरस तथा सिकन्दर की सैन्य शक्ति की तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  32. प्रश्न- सिकन्दर तथा पुरू की सेना का युद्ध किस रूप में प्रारम्भ हुआ?
  33. प्रश्न- सिकन्दर तथा पोरस की सेना को कितनी क्षति उठानी पड़ी?
  34. प्रश्न- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में वर्णित सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
  35. प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार मौर्यकालीन युद्ध कला एवं सैन्य संगठन की व्याख्या कीजिए।
  36. प्रश्न- कौटिल्य कौन था? उसकी पुस्तक का नाम लिखिए।
  37. प्रश्न- कौटिल्य द्वारा वर्णित सैन्य बलों की श्रेणियां लिखिये।
  38. प्रश्न- कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में कितने प्रकार के राजदूतों का वर्णन किया है
  39. प्रश्न- कौटिल्य के सैन्य संगठन सम्बन्धी विचार प्रकट कीजिए।
  40. प्रश्न- कौटिल्य के व्यूहरचना (Tactical Formatic) सम्बन्धी विचारों का उल्लेख कीजिए।
  41. प्रश्न- कौटिल्य के द्वारा बताये गये दुगों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- कौटिल्य ने युद्ध संचालन के लिए कौन-कौन से विभागों का वर्णन किया है?
  43. प्रश्न- कौटिल्य द्वारा बताये गये गुप्तचरों के रूप लिखिए।
  44. प्रश्न- राजपूत सैन्य पद्धति और युद्धकला पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
  45. प्रश्न- तराइन के द्वितीय संग्राम (1192 ई०) का वर्णन कीजिए। हमें इस युद्ध से क्या शिक्षाएँ मिलती हैं?
  46. प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध ( 1192 ई०) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
  47. प्रश्न- तराइन के युद्ध की सैन्य शिक्षाओं का वर्णन कीजिए।
  48. प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
  49. प्रश्न- "राजपूतों में दुर्गुणों का भी अभाव न था।" इस कथन को साबित कीजिए।
  50. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के सैन्य संगठन और युद्ध कला पर प्रकाश डालिए। बलबन तथा अलाउद्दीन के सैन्य सुधारों की व्याख्या कीजिए।
  51. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की समीक्षा कीजिए।
  52. प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
  53. प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- आघात समरतंत्र (Shock Tactics) क्या है?
  55. प्रश्न- दिल्ली सल्तनत की सैन्य व्यवस्था तथा विस्तार पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  56. प्रश्न- मुगल स्त्रातजी तथा सामरिकी का वर्णन कीजिए।
  57. प्रश्न- 1526 ई० में पानीपत के प्रथम संग्राम का सचित्र वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- मुगलों की सेना में कितने प्रकार के सैनिक थे?
  59. प्रश्न- मुगल सैन्य पद्धति के पतन के क्या कारण थे?
  60. प्रश्न- सेना के वह मुख्य भाग क्या थे? जिन पर मुगलों की विजय आधारित थी? वर्णन कीजिए।
  61. प्रश्न- मुगल तोपखाने पर संक्षेप में लिखिये।
  62. प्रश्न- युद्ध क्षेत्र में मुगल सेना की रचना का वर्णन कीजिए।
  63. प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
  64. प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- खानवा की लड़ाई (1527 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
  66. प्रश्न- राजपूतों की असफलता के क्या कारण थे?
  67. प्रश्न- राजपूतों की युद्ध कला पर संक्षेप में लिखिये।
  68. प्रश्न- राजपूतों का सैन्य संगठन कैसा था?
  69. प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
  70. प्रश्न- राजपूतों में दुर्गणों का भी अभाव न था। इस कथन को साबित करिये।
  71. प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध (1192 ई.) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
  72. प्रश्न- 1527 ई० की खानवा की लड़ाई में राजपूतों और मुगलों की तुलनात्मक सैन्य शक्ति का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- 17वीं शताब्दी में मराठा शक्ति के उत्कर्ष के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  74. प्रश्न- मराठा सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए।
  75. प्रश्न- मराठा सेनाओं की युद्ध कला एवं संगठन का विवरण दीजिए।
  76. प्रश्न- पानीपत के तीसरे संग्राम (1761 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- मराठा शक्ति के उदय पर प्रकाश डालिए।
  78. प्रश्न- शिवाजी के समय मराठों का सैन्य संगठन का उल्लेख कीजिए।
  79. प्रश्न- मराठों की युद्धकला पर प्रकाश डालिए।
  80. प्रश्न- मराठा सैनिकों के सैन्य गुणों को बताइये।
  81. प्रश्न- शिवाजी के सैन्य गुणों का उल्लेख कीजिए।
  82. प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध ( 1761 ई०) में मराठों और अफगानों की सैन्य शक्ति का उल्लेख कीजिए।
  83. प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  84. प्रश्न- पानीपत के तीसरे युद्ध (1761 ई.) में मराठों की पराजय के प्रमुख कारण लिखिए।
  85. प्रश्न- सिक्ख सैन्य पद्धति, युद्ध कला तथा संगठन का पूर्ण विवरण दीजिए।
  86. प्रश्न- रणजीत सिंह के पूर्व सिक्ख सैन्य पद्धति की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- "रणजीत सिंह भारत का गुस्तावस एडोल्फस माना जाता है। इस कथन के संदर्भ में रणजीत सिंह द्वारा सिक्ख सेना के किये गये विभिन्न सुधारों का वर्णन कीजिए।
  88. प्रश्न- सोबरांव के संग्राम (1864 ई०) का वर्णन करते हुए सिक्ख सेना की पराजय के कारण बताइये।
  89. प्रश्न- दल खालसा पर टिप्पणी लिखिए।
  90. प्रश्न- सिक्ख सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
  91. प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह ने सिक्खों को सैनिक क्षेत्र में क्या योगदान दिये?
  92. प्रश्न- सिक्खों के सेनांग का वर्णन कीजिए।
  93. प्रश्न- रणजीत सिंह से पूर्व सिक्खों के समरतंत्र पर प्रकाश डालिए।
  94. प्रश्न- खालसा युद्ध कला पर लिखिये।
  95. प्रश्न- महाराजा रणजीत सिंह के तोपखाने का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- रणजीत सिंह ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
  97. प्रश्न- सोबरांव के युद्ध (1846) में सिक्खों की मोर्चे बन्दी का वर्णन कीजिए।
  98. प्रश्न- सोबरांव के युद्ध में सिक्खों की पराजय के क्या कारण थे?
  99. प्रश्न- सिक्ख दल खालसा का युद्ध के समय क्या महत्व था?
  100. प्रश्न- ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए तथा 1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के कारण बताइये।
  101. प्रश्न- सन् 1858 से लेकर सन् 1918 तक अंग्रेजों के अधीन भारतीय सेना के संगठन तथा विकास का वर्णन कीजिए।
  102. प्रश्न- स्वतंत्रता पश्चात् सशस्त्र सेनाओं के भारतीयकरण का वर्णन कीजिए।
  103. प्रश्न- सेना के भारतीयकरण में मोतीलाल नेहरु की रिपोर्ट का मूल्यांकन कीजिए।
  104. प्रश्न- 1939-45 के मध्य भारतीय सशस्त्र सेनाओं के विस्तार और भारतीयकरण का परिचय दीजिए।
  105. प्रश्न- भारतीय नभ शक्ति की विशेषताओं तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- भारतीय कवचयुक्त सेना पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
  107. प्रश्न- आधुनिक भारत में सैन्य संगठन की रचना एवं तत्वों का निरूपण कीजिए।
  108. प्रश्न- भारतीय थल सेना के अंगों का विस्तृत विवरण दीजिए।
  109. प्रश्न- भारत के लिए एक शक्तिशाली नौसेना क्यों आवश्यक है? नौसेना के युद्ध कालीन कार्य बताइए।
  110. प्रश्न- भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
  111. प्रश्न- लार्ड क्लाइव ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
  112. प्रश्न- लार्ड कार्नवालिस के सैन्य सुधारों पर प्रकाश डालिए।
  113. प्रश्न- कमाण्डर-इन-चीफ लार्ड रॉलिन्सन ने क्या सुधार किये?
  114. प्रश्न- कम्पनी सेना की स्थापना के क्या कारण थे?
  115. प्रश्न- प्रेसीडेन्सी सेनाओं के विकास का वर्णन कीजिये।
  116. प्रश्न- क्राउनकालीन भारतीय सेना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  117. प्रश्न- ब्रिटिशकालीन भारतीय सेना को किन कारणों से राष्ट्रीय सेना नहीं कहा जा सकता?
  118. प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  119. प्रश्न- ब्रह्मोस क्या है?
  120. प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
  121. प्रश्न- भारत ने व्यापक परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (CTBT) पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किया है?
  122. प्रश्न- पोखरन-II परीक्षणों में भारत ने किस प्रकार के अस्त्रों की क्षमता का परिचय दिया था?
  123. प्रश्न- भारत की प्रतिरक्षात्मक तैयारी का मूल्याँकन कीजिए।
  124. प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
  125. प्रश्न- भारतीय वायु सेना के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  126. प्रश्न- भारतीय वायु सेना के संगठन पर प्रकाश डालिए।
  127. प्रश्न- भारतीय वायुसेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
  128. प्रश्न- भारतीय वायुसेना पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  129. प्रश्न- भारतीय स्थल सेना की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- वायुसेना का महत्व समझाइये।
  131. प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
  132. प्रश्न- प्रथम भारत-पाक युद्ध या कश्मीर युद्ध (1947-48) का वर्णन कीजिए।
  133. प्रश्न- स्वतन्त्रता के पश्चात् भारतीय सेनाओं द्वारा लड़े गये युद्धों का विवरण दीजिए।
  134. प्रश्न- 1948 के भारत-पाक युद्ध में स्थल सेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  135. प्रश्न- कश्मीर विवाद 1948 में सैन्य कार्यवाही के कारणों का उल्लेख कीजिए।
  136. प्रश्न- 1948 का युद्ध भारत पर अचानक आक्रमण था। कैसे?
  137. प्रश्न- कश्मीर सैन्य कार्यवाही, 1948 के राजनैतिक परिणाम क्या थे? वर्णन कीजिए।
  138. प्रश्न- "भारतीय उपमहाद्वीप में शान्ति भारत-पाक सम्बन्धों पर अवलम्बित है।" इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए
  139. प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1948 में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका।
  140. प्रश्न- 1962 में चीन के विरुद्ध भारत की सैनिक असफलताओं के कारण बताइए।
  141. प्रश्न- 1948 तथा 1962 के युद्धों में प्रयुक्त समरनीति का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
  142. प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में तिब्बत की सुरक्षा पर प्रकाश डालिए।
  143. प्रश्न- भारत-चीन युद्ध 1962 में वायुसेना की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  144. प्रश्न- भारत-चीन संघर्ष, 1962 ने भारतीय सेना की कमजोरियों को उजागर किया। समीक्षा कीजिए।
  145. प्रश्न- नदी बाहुल्य क्षेत्र में वायुसेना की महत्ता समझाइये।
  146. प्रश्न- "भारत में रक्षा अनुसंधान एवं रेखास संगठन की भूमिका' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  147. प्रश्न- 1965 में भारत और पाकिस्तान के मध्य हुए युद्ध का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  148. प्रश्न- 1965 के भारत-पाक संघर्ष के प्रमुख कारणों को आंकलित कीजिए।
  149. प्रश्न- 1965 के कच्छ के विवाद पर प्रकाश डालिए।
  150. प्रश्न- ताशकन्द समझौता क्यों हुआ? स्पष्ट कीजिये।
  151. प्रश्न- मरुस्थल के युद्ध की समस्याएँ लिखिए।
  152. प्रश्न- कच्छ के रन का रेखाचित्र बनाइये।
  153. प्रश्न- कच्छ के रण का महत्व समझाइये।
  154. प्रश्न- ताशकन्द समझौते के मुख्य प्रस्तावों पर प्रकाश डालिये।
  155. प्रश्न- कच्छ सैन्य अभियान पर प्रकाश डालिए।
  156. प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1971 का वर्णन कीजिए तथा युद्ध के कारणों पर प्रकाश डालिए।
  157. प्रश्न- 1971 के युद्ध में जैसोर तथा ढाका की घेराबन्दी अभियान तथा ढाका के आत्मसमर्पण का वर्णन कीजिए।
  158. प्रश्न- भारत के लिए कारगिल क्यों महत्वपूर्ण है?
  159. प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 की उत्पत्ति पर प्रकाश डालिए।
  160. प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की आक्रामक कार्यवाही का मूल्याँकन कीजिए।
  161. प्रश्न- कारगिल संघर्ष 1999 के कारणों का वर्णन कीजिए।
  162. प्रश्न- कारगिल युद्ध के पीछे पाकिस्तान की मंशा पर प्रकाश डालिए।
  163. प्रश्न- कारगिल युद्ध (1999) के समय भारतीय सेनाओं के समक्ष आई समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  164. प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
  165. 1 - वैदिक एवं महाकाव्यकालीन सैन्य व्यवस्था (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  166. उत्तरमाला
  167. 2 - झेलम संग्राम - 326 ई. पू. (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  168. उत्तरमाला
  169. 3- कौटिल्य का युद्ध दर्शन (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  170. उत्तरमाला
  171. 4 - तुर्क एवं राजपूत सैन्य पद्धति : तराइन का युद्ध (1192 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  172. उत्तरमाला
  173. 5- सैन्य संगठन एवं सल्तनत काल की सैन्य पद्धति (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  174. उत्तरमाला
  175. 6 - मुगल सैन्य पद्धति : पानीपत का प्रथम संग्राम (1526 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  176. उत्तरमाला
  177. 7- राजपूत सैन्य संगठन, शस्त्र प्रणाली एवं खानवा का संग्राम (1527 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  178. उत्तरमाला
  179. 8- मराठा सैन्य पद्धति एवं पानीपत का तीसरा युद्ध (1761 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्नऋ
  180. उत्तरमाला
  181. 9 - सिक्ख सैन्य प्रणाली एवं सोबरांव का युद्ध (1846 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  182. उत्तरमाला
  183. 10 - ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति, 1858-1947 ईस्वी तक (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  184. उत्तरमाला
  185. 11- प्रथम भारत पाक युद्ध (1947-48) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  186. उत्तरमाला
  187. 12 - भारत-चीन युद्ध 1962 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  188. उत्तरमाला
  189. 13 - भारत-पाकिस्तान युद्ध - 1985 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  190. उत्तरमाला
  191. 14- बांग्लादेश की स्वतन्त्रता - 1971 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  192. उत्तरमाला
  193. 15 - कारगिल संघर्ष - 1999 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
  194. उत्तरमाला

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